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Ghazab Kiya Tere Wade by Daagh Dehlvi (in Hindi)

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-                     ग़ज़ल (1) ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया, तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया. (2) हंसा हंसा के शब ए वस्ल अश्कबार किया, तसल्लियां मुझे दे दे के बेक़रार किया. (3) किसी तरह जो न उस बुत ने ऐतबार किया, मेरी वफ़ा ने मुझे ख़ूब शर्मसार किया. (4) ये किसने जलवा हमारे सरमज़ार किया, कि दिल से शोर उठा हाए बेक़रार किया. (5) न आए राह पे वह इज्ज़ बेशुमार किया, शब ए विसाल भी मैंने  तो इंतज़ार किया. (6) सुना है तेग़ को क़ातिल ने आबदार किया, अगर ये सच है तो बेशुबह हम पे वार किया. (7) तुझे तो वादा ए दीदार हम से करना था, ये क्या किया कि जहां को उम्मीदवार किया. (8) कहां का सब्र कि दम पर है बन गई ज़ालिम, बातंग आए तो हाल ए दिल आशकार किया. (9) तड़प फिर ऐ दिल ए नादां के ग़ैर कहते हैं, अख़ीर कुछ न बनी सब्र अख़्तियार किया. (10) ये दिल को ताब कहां है कि हो माल ए अंदेश, उन्होंने वादा किया उस ने ऐतबार किया. (11) मिले जो यार की शोख़ी से उसकी बेचैनी, तमाम रात दिल ए मुज़तर्ब को प्यार किया. (12) भुला भुला के जताया है उनको राज़ ए निहां,