Posts

Showing posts from September, 2019

Ye chiraag be nazar by Dr Basheer Badr (in Hindi)

Image
                ग़ज़ल ये चिराग़ बे नज़र है ये सितारा बेजु़बां हैं, अभी तुझ से मिलता जुलता कोई दूसरा कहां हैं. कभी पा के तुझ को खोना कभी खो के तुझ को पाना, ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दर्मियां है. मेरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में, वही दुख भरी ज़मीं है वही दुख भरा आसमां है. वही शख़्स जिस पे अपने दिल व जां निसार कर दूं, वह अगर खफ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमां है. मैं इसी गुमां में बरसों बड़ा मुत्मईन रहा हूं, तेरा जिस्म बे तग़य्युर मेरा प्यार जाविदां है. इन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे, मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहां है.             डॉक्टर बशीर बद्र   मुश्किल अल्फ़ाज़:      ☆ नज़र-- जो देख ना सके.      ☆ बेजु़बां-- जो बोल न सके.      ☆ दर्मिया-- बीच में.      ☆ शख़्स-- इंसान.      ☆ दिल व जां-- दिल और जान.      ☆ निसार-- निछावर, कुर्बान, फिदा.      ☆ ख़फा-- नाराज़...