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Showing posts from 2019

Ye chiraag be nazar by Dr Basheer Badr (in Hindi)

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                ग़ज़ल ये चिराग़ बे नज़र है ये सितारा बेजु़बां हैं, अभी तुझ से मिलता जुलता कोई दूसरा कहां हैं. कभी पा के तुझ को खोना कभी खो के तुझ को पाना, ये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दर्मियां है. मेरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में, वही दुख भरी ज़मीं है वही दुख भरा आसमां है. वही शख़्स जिस पे अपने दिल व जां निसार कर दूं, वह अगर खफ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमां है. मैं इसी गुमां में बरसों बड़ा मुत्मईन रहा हूं, तेरा जिस्म बे तग़य्युर मेरा प्यार जाविदां है. इन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे, मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहां है.             डॉक्टर बशीर बद्र   मुश्किल अल्फ़ाज़:      ☆ नज़र-- जो देख ना सके.      ☆ बेजु़बां-- जो बोल न सके.      ☆ दर्मिया-- बीच में.      ☆ शख़्स-- इंसान.      ☆ दिल व जां-- दिल और जान.      ☆ निसार-- निछावर, कुर्बान, फिदा.      ☆ ख़फा-- नाराज़...

Marne Ki Duayein Kyun Mangu by Ahsan Jazbi: Ghazal (in Hindi)

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       ग़ज़ल मरने की दुआएं क्यों मांगू जीने की तमन्ना कौन करे, ये दुनिया हो या वह दुनिया अब ख़्वाहिश ए दुनिया कौन करे.      जब तुझको तमन्ना मेरी थी      तब मुझको तमन्ना तेरी थी,      अब तुझको तमन्ना ग़ैर की है तो      तेरी तमन्ना कौन करे. जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों से, जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे.      जब कश्ती साबुत व सालिम थी      साहिल की तमन्ना किसको थी,      अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर      साहिल की तमन्ना कौन करे. दुनिया ने हमें छोड़ा जज़्बी हम छोड़ ना दें क्यूं दुनिया को, दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे.           मुईन अहसन जज़्बी मुश्किल अल्फ़ाज़:      ☆ तमन्ना---- तलब.      ☆ ख़्वाहिश---- आरज़ू.      ☆ अश्क---- आंसू.    ...

Tere ishq ki intihaa by Allama Iqbal (in Hindi)

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          ग़ज़ल     तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूं, मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं. सितम हो कि हो वादा ए बे हिजाबी, कोई बात सब्र आज़मा चाहता हूं. यह जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को, कि मैं आपका सामना चाहता हूं. ज़रा सा तो दिल हूं मगर शोख़ इतना, वहीं लन तरानी सुना चाहता हूं. कोई दम का मेहमां हूं ऐ अहले महफ़िल, चिराग़ ए सहर हूं बुझा चाहता हूं. भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी, बड़ा बे अदब हूं सज़ा चाहता हूं. अल्लामा इक़बाल मुश्किल अल्फ़ाज़:      ☆  इंतिहा --- आख़िर, हद, अंजाम.      ☆   सितम --- ज़ुल्म, सख़्ती.      ☆   बे हिजाबी --- बे पर्दा, चेहरा दिखाना.      ☆   सब्र आज़मा --- सब्र आज़माने वाली.      ☆   जन्नत --- स्वर्ग.      ☆   ज़ाहिद --- धार्मिक, इबादत गुज़ार.      ☆   शोख़ --- चंचल.      ☆   लन तरानी --- शोखी, ढींग, तू मुझे नहीं देख सकता.     ...

Ghazab Kiya Tere Wade by Daagh Dehlvi (in Hindi)

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Kuchh yaadgaar e shahar: Ghazal by Nasir Kazmi (in Hindi)

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-                ग़ज़ल कुछ यादगार ए शहर ए सितमगर ही चलें, आए  हैं  इस गली  में  तो पत्थर ही ले चलें. यूं  किस तरह  कटेगा कड़ी धूप का सफ़र, सर पर ख्याल  ए यार की चादर ही ले चलें. रंज ए सफ़र की कोई  निशानी तो पास हो, थोड़ी सी ख़ाक कूचा ए दिलबर ही ले चलें. यह  कह  के छेड़ती है हमें दिल गिरफ़्तगी, घबरा  गए  हैं  आप  तो  बाहर ही ले  चलें. इस  शहर  ए  बेचिराग़ में जाएगी  तू कहां, आ अय शब ए फ़िराक़ तुझे घर ही ले चलें.                     नासिर काज़मी मुश्किल अल्फ़ाज़:      ☆  यादगार ए शहर सितमगर ---- ज़ुल्मी के शहर की याद.      ☆  रंज ए सफ़र ---- सफ़र का दुख.      ☆  कूचा ए दिलबर ---- दिलबर की गली.      ☆  दिल गिरफ़्तगी ---- दिल की क़ैद.      ☆  शहर ए बेचिराग़ ---- अंधेर...