Marne Ki Duayein Kyun Mangu by Ahsan Jazbi: Ghazal (in Hindi)

       ग़ज़ल

मरने की दुआएं क्यों मांगू
जीने की तमन्ना कौन करे,
ये दुनिया हो या वह दुनिया अब
ख़्वाहिश ए दुनिया कौन करे.



     जब तुझको तमन्ना मेरी थी
     तब मुझको तमन्ना तेरी थी,
     अब तुझको तमन्ना ग़ैर की है तो
     तेरी तमन्ना कौन करे.



जो आग लगाई थी तुम ने
उस को तो बुझाया अश्कों से,
जो अश्कों ने भड़काई है
उस आग को ठंडा कौन करे.



     जब कश्ती साबुत व सालिम थी
     साहिल की तमन्ना किसको थी,
     अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर
     साहिल की तमन्ना कौन करे.



दुनिया ने हमें छोड़ा जज़्बी
हम छोड़ ना दें क्यूं दुनिया को,
दुनिया को समझ कर बैठे हैं
अब दुनिया दुनिया कौन करे.
   




मुश्किल अल्फ़ाज़:
     ☆तमन्ना---- तलब.
     ☆ख़्वाहिश---- आरज़ू.
     ☆अश्क---- आंसू.
     ☆कश्ती---- नाव.
     ☆साबुत व सालिम---- सही सलामत.
     ☆साहिल---- किनारा.
     ☆शिकस्ता---- ख़स्ता हाल.
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