Ibne Mariyam by Mirza Ghalib : Ghazal (in Hindi)
- ग़ज़ल इब्ने मरियम हुआ करे कोई, मेरे दुःख की दवा करे कोई. चाल जैसे कड़ी कमान का तीर, दिल में ऐसे कि जा करे कोई. शरअ व आईन पर मदार सही, ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई. बात पर वां ज़ुबान कटती है, वो कहे और सुना करे कोई. बक रहा हूँ जुनूं में क्या क्या कुछ, कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई. न सुनो गर बुरा कहे कोई, न कहो अगर बुरा करे कोई. कौन है जो नहीं है हाजतमंद, किसकी हाजत रवा करे कोई. रोक लो गर ग़लत चले कोई,...