Sare Jahan Se Achha by Allama Iqbal: Ghazal (in Hindi)

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तराना ए हिन्द
सारे जहां से अच्छा

हिन्दुस्तां हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी
यह गुलिस्तां हमारा.

परबत वो सबसे ऊंचा
हमसाया आसमां का,
वह संतरी हमारा
वह पासबां हमारा.

ग़ुरबत में हो अगर हम
रहता है दिल वत़न में,
समझो वहीं हमें भी
दिल हो जहां हमारा.

गोदी में खेलती हैं
उसकी हज़ारों नदियां,
गुलशन है जिनके दम से
रश्क ए जहां हमारा.

ऐ आबरुदे गंगा
वह दिन है याद तुझको,
उतरा तेरे किनारे
जब कारवां हमारा.

मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना,
हिंदी हैं हम वतन है
हिन्दुस्तां हमारा.

यूनान व मिस्र रोमा
सब मिट गए जहां से,
अब तक मगर है बाक़ी
नामो निशां हमारा.

कुछ बात है कि हस्ती
मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन
दौरे ज़मां हमारा.

इक़बाल कोई मह़रम
अपना नहीं जहां में,
मालूम क्या किसी को
दर्द-ए-निहां हमारा.
            अल्लामा 'इक़बाल'

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मुश्किल अल्फ़ाज़:
   ☆ गुलिस्तां --- बाग़ (चिड़ियों का घर).
   ☆ पासबां --- पहरेदार.
   ☆ ग़ुरबत --- अनजानी जगह(वतन से दूर).
   ☆ रश्क़ ए जहां --- दुनिया की जलन.
   ☆ आबरुदे --- बहता पानी.
   ☆ कारवां --- मुसाफ़िरों का समूह.
   ☆ रोमा --- रोम.
   ☆ नामो निशां --- नाम और निशान.
   ☆ दौरे ज़मां --- ज़माने का दौर (समय).
   ☆ मह़रम --- सगा.
   ☆ दर्दे निहां --- छिपा हुआ दर्द.

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