Nigahe Yaar Jise Ashna e Raaz by Hasrat 'Mohani': Ghazal (in Hindi)

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            ग़ज़ल
निगाहे यार जिसे
     आशना ए राज़ करे,
वह क्यों न ख़ूबी ए क़िस्मत

     पे अपनी नाज़ करे.

दिलों को फ़िक्र ए दो आलम
     से कर दिया आज़ाद,
तेरे जुनूं का ख़ुदा
     सिलसिला दराज़ करे.


ख़िरद का नाम जुनूं पड़ गया
     जुनूं का ख़िरद,
जो चाहे आप का ह़ुस्न
     करिश्मा साज़ करे.

तेरे सितम से मैं ख़ुश हूं
     कि ग़ालीबन यूं भी,
मुझे वह शामिल ए अरबाबे
     इम्तियाज़ करे.


ग़म ए जहां से जिसे हो
     फ़राग़ की ख़्वाहिश,
वह उन के दर्द ए मुह़ब्बत
     से साज़ बाज़ करे.

उम्मीदवार हैं हर सिम्त
     आशिक़ों के गिरोह,
तेरी निगाह को अल्लाह
     दिल नवाज़ करे.


तेरे करम का साज़ावार
     तो नहीं 'ह़सरत',
अब आगे तेरी ख़ुशी है
     जो सरफ़राज़ करे.

        'ह़सरत' मोहानी



मुश्किल अल्फ़ाज़:
     ☆ आशना --- जान पहचान, परिचय.
     ☆ आशनाए राज़ --- राज़ प्रकट करना.
     ☆ ख़ूबी --- अच्छाई.
     ☆ नाज़ --- गर्व करना.
     ☆ दो आलम --- दो जहान, दो लोक.
     ☆ जुनूं --- जुनून, पागलपन, ज़िद.
     ☆ दराज़ --- लंबी, लंबा.
     ☆ ख़िरद --- अक़्ल, बुद्धिमानी, समझ.
     ☆ करिश्मा --- चमत्कार.
     ☆ करिश्मा साज़ --- करिश्मा करना.
     ☆ ग़ालीबन --- शायद.
     ☆ अरबाब --- लोग.
     ☆ इम्तियाज़ --- भेद, फ़र्क़.
     ☆ अरबाबे इम्तियाज़ --- अहम, विशिष्ट लोग.
     ☆ फ़राग़ --- फ़ुरस़त, छुट्टी.
     ☆ साज़ बाज़ --- सांठ गांठ.
     ☆ सिम्त --- दिशा.
     ☆ दिल नवाज़ --- दिल को तसल्ली देने वाला या लुभाने वाला.
     ☆ साज़ावार --- हक़दार, लायक़.
     ☆ सरफ़राज़ 
--- सर बुलंद, ऊंचा रुतबा.
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Comments

  1. Hasrat mohani ki ghazal nigahen na jise aaj naraz Kare ki band ki tashreeh

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