Gul Tera Rang Chura Laye Hain by Ahmad 'Ndeem': Ghazal (in Hindi)

-
            ग़ज़ल
गुल तेरा रंग चुरा लाए हैं गुलज़ारों में,
जल रहा हूं भरी बरसात की बौछारों में.

मुझ से बच के निकल जा मगर ऐ जाने हया,
दिल की लौ देख रहा हूं तेरे रुख़सारों में.


हुस्न बेग़ाना ए एहसास ए जमाल अच्छा है,
ग़ुंचे खिलते हैं तो बिक जाते हैं बाज़ारों में.

मेरे कीसे में तो एक सूत की अंटी भी न थी,
नाम लिखवा दिया यूसुफ़ के ख़रीदारों में.


ज़िक्र करते हैं तेरा मुझ से बा उनवाने जफ़ा
चारागर फूल पिरो लाए हैं तलवारों में.

ज़ख्म छुप सकते हैं लेकिन मुझे फ़न की सौगंध,
ग़म की दौलत भी है शामिल मेरे शाहकारों में.


मुन्तज़िर है कोई तीशाए तख़्लीक़ उठाए,
कितने असनाम दफ़न हैं कुहसारों में.

मुझको नफ़रत से नहीं प्यार से मसलूब करों,
मैं भी शामिल हूं मुहब्बत के गुनहगारों में.


रुत बदलती है तो मेयार बदल जाते हैं,
बुलबुले ख़ार लिए फिरती हैं मिनक़ारों में.

चुन ले बाज़ारे हुनर से कोई बहरूप 'नदीम',
अब तो फ़नकार भी शामिल हैं अदाकारों में.


        अह़मद 'नदीम' क़ासमी




मुश्किल अल्फ़ाज़:

     ☆गुलज़ार --- फूलों का बग़ीचा.
     ☆रुख़सार --- गाल.
     ☆जमाल --- सुंदरता.
     ☆गुंचा --- कली.
     ☆कीसा --- थैली, थैला, झोला.
     ☆अंटी --- सूत या रेशम की लच्छी.
     ☆यूसुफ़ --- एक नबी/पैग़म्बर, जो मिस्र के बाज़ार में बेचे गए थे.
     ☆बा उनवान --- नाम देकर.
     ☆जफ़ा --- बेवफाई.
     ☆चारागर --- इलाज करने वाला, मार्गदर्शक.
     ☆फ़न --- हुनर.
     ☆शाहकार --- अदभुत रचना, मास्टरपीस.
     ☆मुन्तज़िर --- इंतज़ार में.
     ☆तीशा --- बुत/मूर्ति तराशने की छेनी/निहानी/रुखानी.
     ☆तख़लीक़ --- बनाना/रचना.
     ☆असनाम --- बुत, मूर्तियां, स़नम का बहुवचन.
     ☆कुहसार --- पहाड़ी सिलसिला.
     ☆मसलूब --- सूली चढ़ाना.
     ☆मेयार --- कसौटी, पैमाना, परख.
     ☆ख़ार --- कांटा.
     ☆मिनक़ार --- चोंच.
     ☆अदाकार --- अभिनेता, एक्टर.
--------------------------------------------



Comments

Popular posts from this blog

Ibtidaye ishq hai rota hai kya: Ghazal by Meer Taqi Meer (in Hindi)

Ulti Ho Gayi Sab Tadbeerein by Meer Taqi Meer :Ghazal (in Hindi)

Hue Namwar Benishaan by Ameer Meenai (in Hindi)