Ek Baar Kaho Tum Meri Ho by Ibne Insha :Geet (in Hindi)

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             गीत:
हम घूम चुके बस्ती बन में
एक आस की फांस लिए मन में
कोई साजन हो कोई प्यारा हो
कोई दीपक हो कोई तारा हो
जब जीवन रात अंधेरी हो
     इक बार कहो तुम मेरी हो..

जब सावन बादल छाए हो
जब फागुन फूल खिलाए हो
जब चंदा रूप लुटाता हो
जब सूरज धूप नहाता हो
या शाम ने बस्ती घेरी हो
     इक बार कहो तुम मेरी हो..


हां दिल का दामन फैला है
क्यूं गोरी का दिल मैला है
हम कब तक पीत के धोखे में
तुम कब तक दूर झरोखे में
कब दीद से दिल को सेरी हो
     इक बार कहो तुम मेरी हो..

क्या झगड़ा सूद ख़सारे का
ये काज नहीं बंजारे का
सब सोना रूपा ले जाए
सब दुनिया दुनिया ले जाए
तुम एक मुझे बहुतेरी हो
     इक बार कहो तुम मेरी हो... 
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मुश्किल अल्फ़ाज़:
     ☆ पीत --- प्रीत, प्रेम, प्यार.
     ☆ दीद --- दीदार, दर्शन.
     ☆ सेरी --- संतुष्टि, असूदगी.
     ☆ सूद --- ब्याज.
     ☆ ख़सारा --- नुकसान.
     ☆ काज --- काम.
     ☆ बहुतेरी --- बहुुत.

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